Tuesday, July 3, 2012

Allaha janta hai


जो भी बुरा भला है अल्लाह जानता है
बन्दे के दिल में क्या है अल्लाह जानता है

ये फर्श-ओ-अर्श क्या है अल्लाह जानता है
परदे में क्या छिपा है अल्लाह जानता है

 जाकर जहां से कोई वापस नहीं है आता
वो कौन सी जगह है अल्लाह जानता है

नेकी हो या बदी हो कितना ही तू छुपाए
अल्लाह को पता है अल्लाह जानता है

ये धूप छाँव देखो ये सुबहो शाम देखो
सब क्यों ये हो रहा है अल्लाह जानता है

किस्मत के नाम को तो सब जानते हैं लेकिन
किस्मत में क्या लिखा है अल्लाह जानता है

Monday, July 2, 2012

Din aa gaye

Din aa gaye
दिन आ गए शबाब के आँचल सँभालिए
होने लगी है शहर में हलचल सँभालिए

सजधज के आप निकले सरे राह खैर हो
टकरा न जाए आपका पागल सँभालिए

निकलो न घर से दूर किसी अजनबी के साथ
बरसेंगे ज़ोर शोर से बादल सँभालिए

चलिए  सँभल सँभल के कठिन राहे  इश्क है
नाज़ुक बहुत है आपकी पायल सँभालिए

Ye daulat


ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन
वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी

मोहल्ले की सबसे निशानी पुरानी
वो बुढिया जिसे बच्चे कहते थे नानी
वो नानी की बातों में परियों का घेरा
वो चेहरे की झुर्रियों में सदियों का फेरा
भुलाए नहीं भूल सकता है कोई
वो छोटी सी रातें वो लम्बी कहानी, वो कागज़ की कश्ती....

कडी धूप में अपने घर से निकलना
वो चिडिया वो तितली वो बुलबुल पकडना
वो गुडियों की शादी में लडना झगडना
वो झूले से गिरना वो गिर के सँभलना
वो पीतल के छल्लों के प्यारे से तोहफे
वो फूटी हुई चूडियों की निशानी, वो कागज की कश्ती....

कभी रेत के ऊँचे टीले  पे  जाना
घरौंदे बनाना बना  के मिटाना
वो मासूम चाहत की तस्वीर अपनी
वो ख्वाबों खिलौनों की जागीर अपनी
न दुनिया का ग़म न रिश्तों के बन्धन
बडी खूबसूरत थी वो ज़िन्दगानी, वो कागज़ की कश्ती.....