Monday, July 2, 2012

Din aa gaye

Din aa gaye
दिन आ गए शबाब के आँचल सँभालिए
होने लगी है शहर में हलचल सँभालिए

सजधज के आप निकले सरे राह खैर हो
टकरा न जाए आपका पागल सँभालिए

निकलो न घर से दूर किसी अजनबी के साथ
बरसेंगे ज़ोर शोर से बादल सँभालिए

चलिए  सँभल सँभल के कठिन राहे  इश्क है
नाज़ुक बहुत है आपकी पायल सँभालिए

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