Friday, January 6, 2012

Aa chal ke


आ चल के तुझे मैं ले के चलूँ
एक ऐसे गगन के तले
जहाँ ग़म भी न हो, आसूँ भी न हो
बस प्यार ही प्यार पले

सूरज की पहली किरण से
आशा का सवेरा जागे
चंदा की किरण से धुलकर
घनघोर अँधेरा भागे
सपनों में पली, हँसती वो कली
जहाँ शाम सुहानी ढले,
जहाँ गम भी न हो
आँसू भी न हो जहाँ प्यार ही प्यार पले...

जहाँ दूर नजर दौडाएँ,
आजाद गगन लहराए
जहाँ रंग बिरंगे पंछी
आशा का संदेशा लाए













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